एक प्रेरणादायक कहानी - शरीर तुम्हारा अनमोल है फिर भिक्षाटन क्यों ? | Gyansagar ( ज्ञानसागर )
एक बार एक भिखारी एक सज्जन से भीख मांगने आया. भिखारी दीन दशा बनाए उस सज्जन से क्षुधा निवारण के लिए कुछ मांग रहा था !
उस सज्जन ने भिखारी से पूछा ? तुम भीख कयों मांगते हो ? भिखारी ने कहा मैं निर्धन हूँ इस लिए आजीविका के लिए भिक्षाटन करता हूँ ! उस सज्जन ने कहा भोले भिखारी मै देख रहा हूँ तुम बहुत धनी हो ! भिखारी ने कहा कुछ भीख में दे दो साहब कयों गरीब का मजाक उड़ा रहे हो !
१) सज्जन ने पूछा -तुम मुझसे १५००० रुपये ले लो और अपना बाया हाथ मुझे दे दो
भिखारी ने कहा नहीं महाशय ये हाथ मेरे अनमोल है मैं किसी कीमत पे ये नहीं दे सकता आपको क्षमा करना जी .
२) अच्छा चलो ५०००० रुपये ले लो मुझे दोनों हाथ दे दो अपने
भिखारी -> नहीं महाशय ये कैसी याचना है ?
३) चलो हाथ नहीं दोगे तो ५०००० रुपये में अपने एक नेत्र ही मुझे दे दो भिखारी- नहीं नहीं माफ़ करना जी मैं चलता हूँ
उस सज्जन ने भिखारी को रोका और अपने यहाँ भोजन कराया ! फिर उस सज्जन ने भिखारी को बताया की कोई भी व्यक्ति निर्धन नहीं है ! प्रकृति प्रत्येक व्यक्ति को बहुत ही धनवान बनायीं है ! आदमी भ्रम वश अपने को निर्धन मानकर दुखी हो दर दर भटकता नहीं !
अब तू तुझे पता चल गया होगा तुम कितने धनवान हो ! जाओ इस धन का सदुपयोग करो
ऐसे ही अन्य लेख अपने Gmail अकाउंट में प्राप्त करने के लिए अभी Signup करे और पाये हमारे ताजा लेख सबसे पहले !!
No comments