बीते कई दिनों से वायरल हो रहे इस तस्वीर को न जाने किसने अपने कैमरे में दर्ज किया पर मेरे पास आते ही इस विषय की हकीकत पर अपनी प्रतिक्रिया जरूरी देना लगा ! क्योंकि दीवार पर अंकित ये चित्र समाज की कड़वी हकीकत ही बयान कर रहा है इसीलिए इस विचार भरे वाक्य को कोई नकार नही सकता !! आज समाज में पढ़े-लिखे डिग्री धारी लोग पैकेट बंद बिस्कुट,चिप्स और गुटखा,नैपकिन सफर करने के दौरान अपने वाहन य सार्वजनिक वाहन से फेंक दिया करते है और फेंकने वाले निश्चित तौर पर मानसिक रूप से स्वस्थ्य होते है लेकिन फेंकने से पहले ये भूल जाते है कि सफाई की व्यवस्था सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नही अपितु समाज की आवश्यकता है जिसमे सभी नागरिक बंधुओ को परस्पर सहयोग देने की आवश्यकता है !! ऐसे चित्र भरे दीवार पर सुविचार अंकित करने के विचार पंडित श्री राम शर्मा आचार्य जी अपने पुस्तको में पहले से ही बताते रहे है और इस दीवार पर अंकित ये विचार वाकई में इतना मनमोहक है कि तस्वीर आते ही खुद को लिखने से कोई भी रोक न पाए ! एक अनुरोध है कि इस पोस्ट को शेयर करके इस विचार को सभी स्वस्थ्य मानसिक स्तर वाले लोगो के अंतर्मन में बसा दे ताकि कूड़ा कूड़ेदान व् उसके उचित स्थान पर न फेंकने वालो के मन में एक प्रश्न खुद से उठ सके - क्या मेरी पढ़ाई पूरी हो चुकी है य अभी करनी बाकि है !!
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बिलकुल सही कहा...
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