ईश्वर सद्गुणों के संग्रह है, सद्गुण अपनाये बिना पूजा व्यर्थ है - जीवन दर्शन | Gyansagar ( ज्ञानसागर )

ईश्वर सद्गुणों के संग्रह है, सद्गुण अपनाये बिना पूजा व्यर्थ है  - जीवन दर्शन | Gyansagar ( ज्ञानसागर )

ईश्वर सद्गुणों के संग्रह है ! संग्रह को अपनाया ही नही तो ईश्वर खुश नही होने वाले !! न घंटा बजाने से न कीर्तन करने से और न ही शंख बजाने से ! ये सब निजी संतुष्टि के उदाहरण मात्र है जिनसे एक निश्चित समय के लिये मानसिक और शारीरिक लाभ जरूर मिलता है पर जीवन को सन्मार्ग और हंसी खुशी स्वस्थ्य रहते हुए अगर जीना चाहते है तो जीवन जीने के तरीके को बदलना होगा और उसके लिये कई महात्माओं ने अपने जीवन को आदर्श रूप में प्रस्तुत किया है क्योंकि ईश्वर जानते थे कि ईश्वर के व्यवहार को मनुष्य ये कहकर नही अपनायेगा कि ईश्वर है वो तो कुछ भी कर सकते है पर हमारा दुर्भाग्य है कि ईश्वर मनुष्य रूप में जन्म लेकर भी मानव जाति को काफी कुछ उदाहरण स्वरूप सीखा और अनमोल ज्ञान दे चुके है पर हम है कि भाग्य भरोसे य फिर झूठी चाटुकारिता भगवान कि करके उन्हें प्रसन्न करने जी कोशिश करते है जबकि ये सिर्फ एक निजी स्वार्थ मात्र ही है ईश्वर की सच्ची असली सेवा नही - दिल के झरोखे से 


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