शासन व्यवस्था अच्छी और दुरुस्त हो उसके लिए नियमो की स्थापना आवश्यक है न कि शोषण करने के लिए ! | Gyansagar ( ज्ञानसागर )

शासन व्यवस्था अच्छी और दुरुस्त हो उसके लिए नियमो की स्थापना आवश्यक है न कि शोषण करने के लिए ! | Gyansagar ( ज्ञानसागर )


ये सच है कि शासन व्यवस्था अच्छी और दुरुस्त हो उसके लिए नियमो की स्थापना आवश्यक है लेकिन ये भी सच है कि कभी कभी यही नियम शोषण के पर्याय बन जाते है !! उदारहण स्वरूप ये वायरल पोस्ट पढ़कर आप अंदाजा लगा सकते है !!

 हेलमेट .. जुर्माना 200 / -
नो पार्किंग में पार्किंग ... जुर्माना 300 / -
नो एंट्री में वाहन ...... जुर्माना 500 /- 
प्रदूषण सर्टिफिकेट नहीं ... जुर्माना 1200/ -
ट्रिपल सीट ड्राइविंग ... जुर्माना 2000 / -
प्लास्टिक का उपयोग .... जुर्माना 5000 / -
खराब सिग्नल .. कोई जिम्मेदार नहीं है
सड़क पर गड्ढ़े ... कोई जिम्मेदार नहीं है
अतिक्रमित फुटपाथ .. कोई जिम्मेदार नहीं है 
सड़क पर रोशनी नहीं .. कोई भी जिम्मेदार नहीं ..
सड़क पर कचरा बह रहा है ...कोई जिम्मेदार नहीं .....
सड़कों पर लाइट के खंभे नहीं ... कोई जिम्मेदार नहीं है
खुदी सड़क कोई मरम्मत नहीं ... कोई जिम्मेदार नहीं है
गड्ढों में गिर कर आप गिरो चोटिल हो... कोई जिम्मेदार नही
आवारा गायें जानवर टकरा जाए कुत्ता काट ले...कोई जिम्मेदार नहीं , ऐसा लगता है कि जनता ही एकमात्र अपराधी है और जुर्माना देने के लिए उत्तरदायी है । प्रशासन, निगम और सरकार कोई जिम्मेदार नहीं है। उनके लिए कोई नियम लागू नहीं होते हैं। वे किसी भी चूक के लिए कभी ज़िम्मेदार नहीं हैं। उन्हें दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए ??
नागरिक केवल काम करेंगे ...
दर्द का सामना करेंगे ... कर चुकाना होगा ...
जुर्माने का भुगतान करेगा ...
सरकार के जेब भरें ...
और उन्हें फिर से सत्ता में वोट दें !





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