टेलीफोन से स्मार्ट फोन तक का अनोखा सफर | एक सामाजिक चिंतन | Gyansagar ( ज्ञानसागर )

टेलीफोन से स्मार्ट फोन तक का अनोखा सफर | एक सामाजिक चिंतन | Gyansagar ( ज्ञानसागर )
नमस्कार पाठकों, आज आप सब के साथ मै कुछ अपना अनुभव साझा करने वाला हूँ ! ये बात है उन दिनों की जब मै छोटा था और जब से होश संभाला है तब से लेकर आज तक टेलेफोन से स्मार्ट फोन की कहानी आपको बताने वाला हूँ !! मै करीब 6 साल का होता होऊंगा जब मुझे याद है पापा की दुकान जिसका नाम सागर इलेक्ट्रॉनिक्स नाम से है , उसमे std pco isd नाम से टेलीफोन बूथ हुआ करता था ! उस समय सबके पास टेलीफोन की सुविधा नही हुआ करती थी !! और ज्यादा लम्बा बात भी कोई नही करता था ! उस समय सबके पास केबल भी नही हुआ करता था !! दो चैनल आते थे एक दूरदर्शन और दूसरा कोई क्रिकेट वाला बाकि बेचारे चैनल ऐसे आते थे और हम उसको बुलाने की ऐसी दुआ य संघर्ष करते थे जैसे आज के समय में बाकि नेटवर्क से 4g होने की करते है !! तो बात करते है टेलीफोन की !! 

टेलीफोन से स्मार्ट फोन तक का अनोखा सफर | एक सामाजिक चिंतन | Gyansagar ( ज्ञानसागर )

उस समय पीला वाला बढ़ा सा क्रेन जैसा टेलीफोन हुआ करता था ! लोग नंबर दबाते नही थे ,बल्कि घुमाते थे और कुछ बाद में रिकॉर्डिंग और डिस्प्ले वाले टेलीफोन भी आना शुरू हुए लेकिन मैंने सबसे पहले ये चकरी वाले फ़ोन ही देखे थे ! 1 का सिक्का और २ का सिक्का जैसे कई सिक्के उसमे जमा होते थे और जब हम निकालते थे तो हर छठे दिन २०० से ज्यादा की धन राशि जरुर मिलती थी ! एक दुकानदार के बेटे होने के नाते मुझे ये जमा करने में ऐसा मजा आता था जैसे कोई कटी पतंग लुट ली हो ! उस समय सबके पास फोन नही हुआ करते थे और आज ये हालत है कि सबके पास फोन होने से हम इसमें समाते जा रहे है , ये हमे इस्तेमाल कर रहा है बजाय की हम इसके !! उस समय एक पर्ची वाली मशीन होती थी जो चिर चिर करके आवाज निकालती थी और एक रेड डिस्प्ले होता था जिसमे आप नंबर लिखते थे तो वहां दिखाई देता था !! 

टेलीफोन से स्मार्ट फोन तक का अनोखा सफर | एक सामाजिक चिंतन | Gyansagar ( ज्ञानसागर )

आज जमाना ऐसा हो गया है जिसकी बारे में सोचना भी आश्चर्य से भर देने वाला है ! आज हम वीडियो कॉल की सुविधा से लेस है और घर बैठे हम दुनिया की सैर कर सकते है ! उस समय ज्यादा कोई मानसिक बीमार नही हुआ करता था न ही तनाव के कोई मामले आते थे न ही अंधविश्वास के मामले ! अत्यधिक सुविधा होने के कारण आज इंसान मक्कार हो गया है , टेलीफोन का इस्तेमाल पहले काम के कारण ही लोग करते थे पर आज समय काटने के लिए किसी को भी कॉल करने से नही चुकते और उसका अपना सबका समय ही खराब करते है !! समस्या है तो बस ये जानने की कि जरूरी क्या है ! प्राथमिकता क्या होनी चाहिए !! आज मै बढ़ा हूँ और जीवन जीने के साधन को वहन कर सकता हूँ पर अगर इसी साधन का दुरूपयोग करना कोई भी शुरू करे तो अंत बढ़ा ही भयावह हो सकता है ! न उस समय कोई बेवजह फोन करता था न टाइम पास ! 
टेलीफोन से स्मार्ट फोन तक का अनोखा सफर | एक सामाजिक चिंतन | Gyansagar ( ज्ञानसागर )
Source:quid.com

सबको अपने काम से मतलब और अपने परिवार समाज से मतलब लेकिन सोशल मीडिया और स्मार्ट फोन ने इंसान को पंगु,मक्कार,निकम्मा बना दिया है और इसके सकारात्मक पक्ष से ज्यादा नकारात्मक पक्ष ही देखने को मिलते है और आज मीडिया व् टीवी मीडिया भी जिस तरह इंटरनेट मीडिया के साधन से लोगो में जानकारी और फेक जानकारी की बारिश य हमला कर रहा है उससे आम जनजीवन की जिन्दगी परेशान हो चुकी है क्योंकि सरकार की नजर इस पर अब तक नही गयी है लेकिन यही सूचना व् स्मार्ट फोन आने वाले समय में बीमारी की प्रमुख वजह बनेगा और सबकुछ इसमें होने के कारण हमारा समाज,परिवार कटना शुरू हो जायेगा ! कुछ उदाहरण हम देख ही सकते है आज के समय में लेकिन आने वाले समय में अगर इसके नकारात्मक पक्ष के बारे में खुलकर चर्चा न हुयी तो ये लाचारी और सबको सुलभ रूप से मिलने वाला ये साधन इंसान को मक्कार और निकम्मा बनाकर ही छोड़ेगा !! देशभक्ति और भेड़चाल को बढ़ावा देने में ये साधन आज कुटिल लोगो का सबसे अच्छा हथियार हो सकता है !! साधन सब जरुर से ज्यादा आराम पसंद हो जाते है तो वो बर्बादी का कारण ही बनते है !! सावधान रहे , सतर्क रहे !! इस स्मार्ट फोन के स्मार्ट हानिकारक पक्ष को भी समझे और अपने आप को इसकी आदत से दूर रखे कहीं ऐसा न हो इसके कारण आपना दैनिक जीवन,पारिवारिक जीवन अस्त -व्यस्त हो जाये !

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Saransh Sagar



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