एक सामाजिक चिंतन - समाज में विकास और समृद्धि लाना हो तो शिक्षा के दायरे को बढ़ाने की आवश्यकता है | Gyansagar ( ज्ञानसागर )

एक सामाजिक चिंतन - समाज में विकास और समृद्धि लाना हो तो शिक्षा के दायरे को बढ़ाने की आवश्यकता है | Gyansagar ( ज्ञानसागर )

ये एक सामाजिक चिंतन ही नही समाज की वर्तमान समस्या भी बन गयी  है ! पहले  कभी शिक्षा सिर्फ बच्चो और युवाओं तक सीमित नही थी लेकिन आज की स्थिति काफी भयावह हो गयी है ! आज शिक्षा काफी महंगी हो गयी है और सरकारी संस्थानों में यदि शिक्षा निःशुल्क भी मिले तो आज गरीब य मध्यम वर्ग के बच्चे अपने माता पिता के लिए उस नौकर य काम में हाथ बंटाने वाले माध्यम बनकर रह जाते है जिससे उनके सपने य तो छोटे होते है य तो होते ही नही ! बहुत कम होते है जो निचले स्थिति में रहते हुए उच्च शिक्षा ग्रहण करे य कोई बड़ा कार्य करे !  मै आपको मेरी अनुभव की बातें बता रहा हूँ ! 

आज शाम 21 जुलाई 2020 को मेरे फेसबुक मित्र और बड़े भाई समान एक ज्ञानसागर परिवार के सदस्य से बात हुई जिसमे शिक्षा व्यवस्था को सिर्फ युवाओं और बच्चो तक सीमित न रखकर प्रौढ़ पाठशालाएं यानि उनलोगों तक शिक्षा देना भी उद्देश्य में है ऐसी बात हुई जो मजदूरी कर रहे है य कमाई य जॉब य बिजनेस कर रहे है ! जाहिर सी बात है शिक्षा देने का आधार हमारी सामर्थ्य अनुसार ही होगा यानि हम जितना जान पायें है उतना कम से कम उन्हें साक्षर अवश्य कर दे ! जैसे मै विज्ञान का विद्यार्थी हूँ तो मै गणित , विज्ञान सही कंप्यूटर क्षेत्र के विषयों के बारे में आसानी से लोगो तक बात य उन्हें उसके विषय पढ़ा सकता हूँ !

 और यही उद्देश्य है की हम वे सभी इच्छुक लोग जो पढ़ना य करियर बनाना चाहते है और निसंकोच जाति,धर्म,उम्र ,लिंग भेद से उप्पर उठकर हमारे उद्देश्य से जुड़ना चाहते है वो ( ज्ञानसागर परिवार के माध्यम से ) हमसे संपर्क करे और साथ ही इन विषयों की जानकारी देने वाले जितने भी शिक्षिका और शिक्षक है , हम उन्हें एक करने का काम करेंगे साथ ही सिस्टम में जो भी कार्यरत है यानि जो अनुभवी है जो अपना ज्ञान और अनुभव समाज को देना चाहते है , हम उन्हें एक करके कंप्यूटर के माध्यम से पढ़ाने के लिए प्रयासरत है क्योंकि सरकार के पास इस विकट समस्या के लिए बात करनी की फुर्सत तक नही है , जब लोग रोजगार करेंगे तो कोई भी व्यक्ति चंदा य दिहाड़ी के लिए पार्टी की रैलियों में जिंदाबाद य हिन्दू मुस्लिम के झगड़ो के लिए सभा आदि न करेगा , न ही कोई धर्म के नाम पर सिर्फ समय बर्बाद करके टीवी मीडिया और अख़बार के इंटरव्यू की अपनी कटिंग लगायेगा , न ही कोई चोरी , डकैती , फ्रॉड और स्कैम करेगा ! 

सारी समस्या का मूल कारण ही अज्ञानता है और उसे जड़ से खत्म किया जा सकता है यदि हम संकल्प ले ले तो ! पढ़ने की कोई उम्र सीमा तय नही है और न ही किसी कानून में इसको अपराध कहा गया है और न ही कोई धर्म , समूह इसकी अवहेलना य मना करता है ऐसा बिलकुल नही है फिर न जाने क्यों जिम्मेदारी और समयाभाव के नाम पर हम कब तक अपने आप को अशिक्षित का दर्जा देते रहेंगे ! एक कारण ये भी है कि सही मार्गदर्शन न मिल पाना कि कौन सा काम करे य कौन सी शिक्षा ग्रहण करे जिसमे सुरक्षा हो सैलरी य कमाई की जबकि सच तो ये है कि अब वो जमाना गया जब आप सरकारी सिस्टम में बैठकर खाते थे अब नया भारत है जहाँ एक टाइम का दूध और घी खाना भी सौभाग्य की बात है ! जहाँ महंगाई अपने लेवल पर है और अपने जॉब  बिजनेस को बनाये रखना है तो आलस्य तो बिलकुल नही कर सकते क्योंकि प्रतिस्पर्धा बढ़ गयी है य यूँ कहे एक ही य समान कार्यक्षेत्र में कई सारे लोगो ने प्रवेश कर दिया है !! 


सवाल लोगो का यही होगा कि सारांश भाई आपकी सारी बात सही है , हम तो पढ़ना चाहते है लेकिन हम यदि पढ़ेंगे तो हमारा काम कौन करेगा ?? तो उसका उत्तर है कि आप अपने कार्यक्षेत्र और काम को समय बिलकुल दे , उसके लिए आपको कभी मना नही करेंगे लेकिन रात्रि पाठशालाएँ के लिए अपने नींद को खत्म करने के लिए तैयार रहे क्योंकि जब आप पढ़ने के लिए जगेंगे तो पढ़ाने वाले भी तैयार रहेंगे ! 
आपका सवाल होगा कि हम ये सब फ्री में करेंगे य इसके पैसे लेंगे ?? 


तो इसका जवाब है कि हम इसका शुल्क उतना ही लेंगे जितना आप देने में सक्षम हो जिससे व्यवस्था में कोई कमी न रह जाये और सभी इच्छुक जनों को समान रूप से इस उद्देश्य का लाभ मिल सके ! 
प्रारम्भ में शुल्क कुछ रखा जायेगा लेकिन हमारी शिक्षा - दीक्षा से जैसे ही आप सब लाभान्वित होना शुरू हो जायेंगे , दक्षिणा स्वरूप कहो य स्वार्थ य नियम , हम आपको आपके कमाई का कुछ अंश हमारे प्रयास में देने का प्रस्ताव देंगे ताकि आपके जैसे ही अन्य लोगो को निःशुल्क शिक्षा दी जा सके !! ताकि ये मुहीम कभी न खत्म हो पावे और जितने भी समस्या है देश में उसे खत्म करने हेतु हमारा परिवार पूर्ण रूप से प्रयासरत हो सके !! हमे उम्मीद है इस तरीके से विभिन्न कार्यक्षेत्र में जब हमारे द्वारा पढ़ाएं गये बच्चे जब सरकारी और गैर सरकारी क्षेत्र में कार्यरत होंगे तो हमारे द्वारा दिए गये शिक्षा और नैतिक संस्कार के बाद वो देश में अपने विचारो और कर्म से एक परिवर्तन य यूँ कहे एक बड़ा परिवर्तन लाने में जरुर सफल होंगे !! 


इसी विचार के साथ गायत्री परिवार का लोकप्रिय वचन लिखकर ये शिक्षा के दायरे के लेख को यही समाप्त करता हूँ ! उम्मीद है विचार क्रांति के लिए आप सब सिर्फ पढ़ने तक शामिल न होकर इसे अपनाएंगे भी और फैलायेंगे भी ! हमसे जुड़ने के लिए ईमेल कर सकते है य कमेंट में अपना व्हाट्सएप्प नम्बर लिख सकते है य फिर कांटेक्ट पेज पर जाकर फॉर्म भर सकते है ! ये विचार क्रांति फैलाने के लिए इसे शेयर जरुर करे ! 
धन्यवाद  





सिंह लग्नफल



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