बेटी की पुकार
( पर जन्म से पहले न देना मार )
जो देते हो औरों को प्यार
छीन ना लेना, मुझसे मेरा अधिकार
चाहे ना देना, मुझको ऐसा दुलार
पर जन्म से पहले न देना मार
बस मांग रही हूँ ये उपहार
जग में आने का दे दो अधिकार
इतनी सी है मेरी पुकार
मांग रही हूँ बस जग का प्यार
न कोई सपना न कोई अभिलाषा
बस इतनी सी है मेरी आशा
आज ना देना मुझको निराशा
इस नन्ही की यही है आशा
हमको को भी दे दो अधिकार
बस करना इतना सा उपकार
हमे कभी न देना मार
जीने का दे दो अधिकार !!
स्वार्थ में आकर देना ना मार
दे दो हमको साँसे इस बार
मांग रही हूँ बस यही उधार
होगा जग का बड़ा उपकार
बस इतनी सी है मेरी आशा
आज ना देना मुझको निराशा
आज ना देना मुझको निराशा
चाहे ना देना मुझको ऐसा दुलार
पर जन्म से पहले न देना मार !!
पर जन्म से पहले न देना मार !!
पर जन्म से पहले न देना मार !!
पर जन्म से पहले न देना मार !!
कविता अच्छी लगी हो तो शेयर जरुर करे ! धन्यवाद
Nice Roshni ! Very Well Written
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