अनजाने में ही सही ईश्वर का हो रहा है नित्य-प्रतिदिन अपमान ! Gyansagar ( ज्ञानसागर )

हम और आप ईश्वर की भक्ति अपनी श्रद्धा,नियम,कायदे के अनुसार करते तो है लेकिन ये नियम और श्रद्धा को पोषित कौन करता है इस पर कभी गौर नही करते !! कैसे हमारी भक्ति और आस्था को बल,शक्ति मिलती है और कैसे उसका हास् होता है ये पता ही नही चलता ! आज ये सच सुनने में खराब जरुर लगता है लेकिन सच तो यही है कि कपड़े और मकान की तरह आज भगवान को बदल दिया जाता है ! जिस देवी-देवता से मनौती पूरी हो जाये उसी को मानेंगे बाकियों को कोई भाव नही देंगे कि रित कई लोगो ने अपना ली ! इसमें सबसे बड़ा नाम कुछ साईं भक्तो का है जिसके नाम पर आज पुरे देश में कई मन्दिर बन गये है ! साईं भगवान है य नही ये हम नही कह सकते लेकिन साईं के ऐसे भक्त आपको बखूभी देखने को मिल जायेंगे जो पहले किसी अन्य देवी-देवता की उपासना करते थे बाद में एक फकीर की ! सिर्फ साईं बाबा के भक्त ही नही कई ऐसे लोग मिल जायेंगे जो अपना धर्म हिन्दू से बदलकर क्रिश्चन य मुस्लिम बन गये ! ये किसी का भी निजी हक है कि वो धर्म परिवर्तन करे लेकिन एक सवाल यही उठता है ऐसे लोगो के लिए कि जो अपने धर्म,कौम में जन्म लेकर के अपने धर्म,अपने देवी-देवता की भक्ति नही कर सका वो क्या दूसरे धर्म में सम्मान से जीवन गुजार पायेगा !! कई ऐसे किस्से सुनने को मिले है कि ऐसे लोगो की मति मार दी जाती है य आवेश में किसी नुकसान से आहत होकर नास्तिक बनने य धर्म परिवर्तन करने का फैसला ले लेते है ! कुछ तो ऐसे भी लोग है जो खुद स्वीकार करते है कि हमने प्र्तिष्ठा में प्राण गंवा दिए है ! झूठे दम्भ में हमने ऐसा फैसला लिया जिससे हमारे कुल का अपमान हो गया ! खैर धर्म,भक्ति को परिभाषित सरल भाषा में करना है तो वो ये है कि सत्य ही धर्म है !




अच्छा अब बात करते है साईं भक्तो और साईं फकीर के महिमामंडन की ! साईं फकीर काफी मशहूर हुए जब उन्हें मंदिर से विस्थापित करने का फैसला कुछ धर्म गुरुओ ने लिया, साईं फकीर का प्रचार एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत किया गया जिसमे मीडिया के द्वारा चमत्कर की खबरे चलाना ! चाय छानने वाली छन्नी में साईं बाबा दिखना ! ऐसे उटपटांग खबरे दिखाकर लोगो को भ्रमित करने का काम बखूभी किया ! जबकि भारत में हर पल हर घड़ी ईश्वर का कुछ न कुछ चमत्कार होता ही रहता है ! उसके बाद बाकि काम कुछ भाड़े के संगीतकार ने साईं के नाम पर गाना बनाकर कर दिया और उससे भी कसर नही छुटी तो साईं के तस्वीरों के साथ राम,श्याम,शिव जी की तस्वीरे लगा दी ! तो कभी उनका ही अवतार बता दिया ! गानों में राम,श्याम और शिव जी के नामो के साथ साईंनाम में अंकित करके गाना बनाया गया ! ये सब जानते है कि आरक्षण रूपी राक्षस गधो को भी पास और उत्तीर्ण करा सकता है तो राम,श्याम और शिव जी का नाम जिसके साथ जोड़ दिया जाये ! जिसको उसका स्वरूप बता दिया जाये तो भोले भले जनता के मन में तीव्र श्रद्धा अपने आप ही बनेगी और वो हुआ भी ! साईं के मार्केटिंग करने वालो ने अन्य देवी-देवताओ का स्थान नीचे करना शुरू कर दिया और ये कई लोग गौर कर रहे थे ! शेयर मार्किट की तरह साईं नाम की धूम मचनी शुरू हो गयी लेकिन जैसे ही कुछ धर्म प्रेमियों को पता चला कि साईं के नाम के साथ उनके आराध्य देव राम,कृष्ण.शिव जी का इस्तेमाल हो रहा है ,पुरे देश में आक्रोश फ़ैल गया और कई साईं भक्तो की आँखे खुल गयी ! सबको समझ आने लगा कि आज इन नाम का व्यापार मात्र हो रहा है और कुछ नही ! और  ये सब जानते है कि हमारे अति प्रिय गुलशन कुमार जी के मृत्यु से पहले उन्होंने अपने संगीत और अपने प्रयासों से ऐसी भक्ति की लहर चलाई थी कि पूरा संसार उनका महिमामंडन कर रहा था ! उनके लोकप्रिय टीसीरिस के कैसेटो ने लोगो को भक्ति की नयी परिभाषा दी ! लोग दिन-रात उनके भजन सुनते और भारत के लोगो को एक नई दिशा मिली अपने धर्म के गुणगान करने का ! इस दिशा में अनुराधा पौडवाल,सोनू निगम जी ने बखूभी अपनी आवाज की कला से उनका जोर-शोर से साथ दिया ! चल कांवरियां शिव के धाम शिव महिमा आदि उनके प्रसिद्ध निर्मित फिल्मो से कुछ है ! कुछ लोगो को गुलशन कुमार जी का धर्म प्रचार रास नही आया और धर्म की अलख जगाने वाले गुलशन कुमार जी की मंदिर के बाहर हत्या कर दी गयी ! उसके बाद ही इस साईं फकीर का प्रचार जोर-शोर से हुआ और तब से लेकर आज तक बॉलीवुड भी धर्म के ज्योत से वंचित ही रहा है ! कोई नही आया जो फिर से गुलशन कुमार के प्रयासों को आगे ले जा सके !

नित्य-प्रतिदिन ईश्वर का अपमान धर्म की आड़ लेकर धर्म की बाते करने वाले लोग भी बखूभी कर रहे है ! कुछ सुबह सूबह कुत्ते की तरह चिल्लाने वाले मानवता के गुण को तो अपनाते नही और गला फाड़कर धर्म की सीख लाउडस्पीकर से देते है ! न केवल ऐसे लोग बल्कि कुछ भगवान की मूर्ति को एक ठेले में स्थापित करके, एक लंगड़ी गाय को सजाकर य एक साईं मूर्ति लगाकर हाथ,पैर सलामत होते हुए भी कुछ भक्ति गाने बजाकर चंदा के रूप में टिका लगाते है और कहते है भगवान तुम्हारा भला करेगा ! ऐसे कुछ चादर लेकर भी चंदा एकत्रित करते है लेकिन जनता भोलो भाले बच्चे की तरह बढ़ी शान से ऐसे लोगो को अपना रुपया -पैसा देकर समझती है कि हमने बहुत पूण्य वाला काम किया ! हमारी मासूमियत और धर्म के प्रति आस्था का आज बहुत बढ़ा विशाल व्यापार बन चूका है और हम हाथ पर हाथ रखकर चुप बैठे है ! सिर्फ यही नही हमारी गलती के कारण, पीके,मौहल्ला अस्सी जैसी फिल्म भी बन जाती है और हम चुप चाप सिर्फ घर में ही बड़ी बड़ी बाते करते है !

इस अपमान करने वालो की लिस्ट में वो साधू संत भी है जो कथा करने के लाखो-करोड़ो लेते तो है लेकिन उनके आराध्य देव को कुछ कहा जाये तो कहाँ गायब हो जाते है कुछ पता नही चलता ! देवी-देवताओ के नाम पर पूजा की सामग्री बिकती है और फिर उसमे अंकित देवी-देवताओ के चित्र कूड़े,नाली में गिरते है ! आश्चर्य की बात है कि उसी मन्दिर में मूर्ति की पूजा होती है और वही छवि जो अगरबत्ती,धूपबत्ती,कपूर के पैकेट में होता है उसे फाड़कर वही फेंक देते है ! अजीब भक्ति है श्रद्धालुओ की कुछ पता ही नही चलता ! पूजा पाठ करना उचित है लेकिन देवी-देवताओ के नाम का इस्तेमाल निजी लाभ और व्यापार के लिए करना ये कहाँ तक उचित है लेकिन हम अपनी आँखों में धर्म और भक्ति की ऐसी तस्वीर बसा चुके है जिससे  विरोध करने में हमे ईश्वर का डर सताने लगता है ! पीके फिल्म में एक बात सच बताई थी कि आज अधिकांश भक्तो में भक्त कम भगवान से डरने वाले ज्यादा है ! भगवान को मुराद पूरा करने वाली एक सामग्री बना लिया है लोगो ने ! परीक्षा के समय मन्दिर में भक्तो का ताँता और उसके इलावा मंदिर में कोई नही जाता ! ईश्वर क्या है इसकी परिभाषा तो हम नही दे सकते है लेकिन ये श्रद्धा का विषय है और इसे केवल महसूस किया जा सकता है ! और जिसने ईश्वर को देखा भी है तो उसके पास शब्द नही होते बताने को क्योंकि तब वो वैराग्य को प्राप्त हो चूका होता है !

ईश्वर का अपमान आज इन्टरनेट और बॉलीवुड के गानों में भी काफी हो रहा है ! राधे तेरी चुनरी, राधे माँ, ऐसे खबरों और गानों को शेयर करने वालो ने कभी ये नही सोचा कि शबनम तेरी चुनरी गाना क्यों नही बनता ?? राधा ही क्यों ?? क्योंकि राधा हमारी आराध्य देवी पूजनीय है इसीलिए ! क्यों ऐसे गाना निर्माता अपने माँ के नाम पर गाना नही बनाते ??? खैर दक्षिण भारतीय फिल्मो,भोजपुरी फिल्मो में तो पूजनीय नाम पे अश्लील और अभद्र अभिनय भी हो चूके है ! इन्टरनेट की दुनिया में आज फेसबुक,व्हाट्स एप्प इसमें प्रथम स्थान पर है जहाँ भक्ति इतने लोगो को शेयर करो तो प्रमाणित हो जाती है ! ९ लोगो को शेयर करो तो अच्छी खबर मिलेगी ! कुछ लोग ब्लैकमेल करते है कि अगर आपने कमेंट में ये नहीं लिखा तो रात तक बुरी खबर मिलेगी ! और लो ,लोग भी ऐसे गधे होते है कि लिखना शुरू कर देते है और ऐसे हजारो का आंकड़ा भी पार कर देते है ! कुछ तो भगवान की तस्वीर लगाकर उलटे सीधे पोस्ट कर देते है ! ऐसे लोगो के लिए एक विशेष कानून के तहत धर्मद्रोह का मुक्द्म्मा चलना चाहिए और आजीवन ऐसे लोगो से ऐसे सोशल साधन का उपयोग करने का हक छीन लेना चाहिए पर अफ़सोस जो कि संभव नही !



यदि आप नित्य-प्रति दिन ईश्वर के अपमान को रोकना य खत्म करना चाहते है तो श्रद्धा के साथ साथ विवेक का भी इस्तेमाल करे , ईश्वर कण कण में जब है तो क्या जरूरत है चलते फिरते ठेले,चादर वालो को चंदा देने की ! हो सके तो मंदिर को व्यवस्था पूर्ण बनाने में अपनी भूमिका दे  आज मंदिरों का पैसा कहाँ जाता है ये कुछ पता नही चलता ! पैसो का हिसाब बराबर बना रहे इसीलिए हमारा कर्तव्य है कि हम इसमें रूचि से अपना योगदान दे ! उदहारण स्वरूप गुरुद्वारा की व्यवस्था लाजवाब है और हमे उनसे सीखने की जरूरत है ! क्योंकि आज जो भोजन,फल,मिठाई लोगो को नही मिल पाता वो मन्दिर में कुचले हुए देखे जाते है !

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Saransh Sagar



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