क्रांतिकारी कविता - बोलो सत्य है ! सत्य है ! सत्य है ! | Gyansagar ( ज्ञानसागर )

क्रांतिकारी कविता - बोलो सत्य है ! सत्य है ! सत्य है ! | Gyansagar ( ज्ञानसागर )

सत्य है ! सत्य है ! सत्य है !
बोलो सत्य है ! सत्य है ! सत्य है !

1) हाँ ये भीड़ में जो है नेता ! और बाते है इनके गंदे
हाँ बन जा क्रांतिकारी और बंद कर दे तू इनके धंधे !!
बंदे इनके है आगे पीछे जो खुद कभी कुछ बन न पाये
बाते है इनकी झूठी और चाटुकारिता ये करते जाये !!
बस झूठे वादे ये कर जाये , मुद्दों से हमको भटकाए
देशभक्ति के नाम पर हमको ये हमसे नारे लगवाये

बोलो सत्य है ! सत्य है ! सत्य है ! 
बोलो सत्य है ! सत्य है ! सत्य है !

2) मै क्रांतिकारी अब बन बैठा और सत्य के राह पर चल बैठा !
मेरी सोच किनारे जो भी था मै गीत में लिखकर हूँ बैठा !
मै बोलता नही हूँ झूठे बोल,खोल दूंगा इन सबकी पोल
जनता समझ ले अपना मोल कर दे इनपर हल्ला बोल !!
बोल बोल बोल बोल बोल ..........................................

बोलो सत्य है ! सत्य है ! सत्य है !
बोलो सत्य है ! सत्य है ! सत्य है !

3) जीत न तेरी मेरी ये सोच है तेरी-मेरी
सोच बढ़ा दे अपनी तू जो हो ये सबसे गहरी
लगा दे अपना पूरा जोर कर दे क्रांति चारो ओर
नेता है ये सारे चोर क्योंकि ये है हरामखोर !!

बोलो सत्य है ! सत्य है ! सत्य है ! 
बोलो सत्य है ! सत्य है ! सत्य है !

श्री राजीव दीक्षित से प्रेरित एक क्रांतिकारी की व्यथा  ( सारांश सागर )



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